July 23, 2025 3:44 pm

आपातकाल के 50 साल: दिल्ली की सीएम बोलीं- कुणाल कामरा दिल्ली में ‘अपने रिस्क पर’ शो कर सकते हैं

आपातकाल के 50 साल को जहां भाजपा कांग्रेस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दबाने वाली पार्टी के रूप में दिखाने के लिए कर रही है. वहीं, दिल्ली में उनकी पार्टी की सीएम रेखा गुप्ता का कहना है कि स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा दिल्ली में शो कर सकते हैं, लेकिन अपने रिस्क पर.

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस साल 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल की 50 वीं वर्षगांठ का इस्तेमाल कांग्रेस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दबाने वाली पार्टी के रूप में चित्रित करने के लिए कर रही है.

बीते दिनों भाजपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक सर्वे भी किया गया, जिसका सवाल था कि क्या भविष्य में अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो दोबारा आपातकाल लगा सकती है. हालांकि, पार्टी का ये दांव उल्टा पड़ गया और इस सर्वे में भाग लेने वाले दो तिहाई से अधिक लोगों ने इससे असहमति जताई.

इस बीच पार्टी की शर्मिंदगी और बढ़ गई जब दिल्ली की मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रेखा गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस समूह के हिंदी दैनिक जनसत्ता द्वारा आयोजित एक मीडिया कार्यक्रम में स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा को लेकर कहा कि कामरा दिल्ली आकर शो कर सकते हैं, लेकिन अपने रिस्क पर.

इस पर जब अखबार के एक प्रतिनिधि ने पूछा कि एक मुख्यमंत्री ऐसा कैसे कह सकता है कि कोई अपने जोखिम पर आए, उनके आश्वासन पर नहीं, तो रेखा गुप्ता ने इसे अनिच्छा से मना कर दिया.

मालूम हो कि स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा उस समय विवादों में आ गए थे, जब सत्तारूढ़ शिवसेना (एकनाथ शिंदे) से जुड़े उपद्रवियों ने मुंबई में उस कॉमेडी क्लब में तोड़फोड़ की, जहां वीडियो रिकॉर्ड किया गया था, जिसके कारण क्लब को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा.

इस बीच कामरा के खिलाफ़ एक एफआईआर भी दर्ज की गई और यूट्यूब पर उनके द्वारा डाले गए राजनीतिक व्यंग्य के लिए उन्हें नतीजा भुगतने की धमकी दी गई.

उल्लेखनीय है कि कामरा और अब बंद हो चुके स्टूडियो पर हमलों ने महाराष्ट्र सरकार को टिप्पणी, स्वतंत्र अभिव्यक्ति या यहां तक ​​कि व्यंग्य के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करने में असमर्थता के लिए सुर्खियों में ला दिया था.

मुख्यमंत्री समेत भाजपा और शिवसेना के शीर्ष नेता इस धारणा को दबा नहीं सके कि उनके राज्य और शहर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है, जहां हिंदी फिल्म उद्योग स्थित है और जो पहले की तरह विरोध-प्रदर्शन-साहित्य और कविता के मामले में सबसे आगे रहा है, अब ऐसे माहौल में लड़खड़ा रहा है जो खोखले विरोधो प्रदर्शनों को  खुद पर हावी होने दे रहा है.

इस बीच, सीएम रेखा गुप्ता को जवाब देते हुए कामरा ने कहा, ‘एक गरिमामय मुख्यमंत्री की तरह बोलने का मौका था, लेकिन बात एक सच्चे एबीवीपी कार्यकर्ता जैसी कीं.’

यानी जब उन्हें मुख्यमंत्री की गरिमा के अनुरूप बोलना चाहिए था, तब उन्होंने आरएसएस के छात्र संगठन कार्यकर्ता जैसी भाषा अपनाई.

बाद में उन्होंने यह भी कहा कि रेखा गुप्ता की ये टिप्पणी ‘दिल्ली आएं अपने रिस्क पर’ दिल्ली पर्यटन के लिए एक टैगलाइन हो सकती है.

ऐसे में अब जब भाजपा दिल्ली सरकार चला रही है और राजधानी में ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार होने का दावा कर रही है, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा राजनीतिक व्यंग्य और हास्य की अभिव्यक्ति के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करने में असमर्थता ने खतरे की घंटी बजा दी है.

ज्ञात हो कि मार्च में शो में कामरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए ‘तानाशाह’ नामक गाना गाया था. दूसरे शो में ‘दिल तो पागल है’ की धुन पर उन्होंने शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधा था.

उन्होंने ‘गद्दार’ शब्द का इस्तेमाल किया था, जो आमतौर पर विपक्ष द्वारा शिंदे के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है क्योंकि उन्होंने 2022 में मूल शिवसेना को विभाजित कर दिया और भाजपा के साथ हाथ मिला लिया था. दोनों गानों में कामरा ने नेताओं का नाम तो नहीं लिया, लेकिन जनता को यह समझने के लिए पर्याप्त संकेत दिए थे कि वह किसकी ओर इशारा कर रहे हैं.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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