बरेली के मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन ने इटावा के कथावाचकों के मामले पर दिए गए अखिलेश यादव के बयान का सपोर्ट किया है और कहा है कि धर्म की आड़ में निजी स्वार्थ का व्यापार हो रहा है.
इटावा में कथावाचक के साथ हुई घटना ने एक दम से तूल पकड़ ली है और अब इस मामले पर सियासत भी गरमा गई है. इस मामले पर सियासी बयानबाजी के बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा कथावाचकों को लेकर दिए गए बयान ने देशभर में चर्चा को नया मोड़ दे दिया है. अब इस पर आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने भी खुलकर समर्थन जताया है.
प्रेस को जारी बयान में मौलाना ने कहा कि ‘मैं अखिलेश यादव का समर्थक नहीं हूं, लेकिन उन्होंने आज जो बात कही, वह दिल और दिमाग से कही गई सच्ची बात है.’ उन्होंने कथावाचकों, मौलवियों और शायरों को ‘धर्म के नाम पर दुनिया दारी’ करने वाला बताया.
मौलाना ने कहा कि वर्तमान समय में किसी गरीब आदमी के लिए धार्मिक आयोजन कराना बेहद महंगा और कठिन हो गया है. उन्होंने कहा कि हिंदू कथावाचक, मुस्लिम मौलवी और शायर ये तीनों वर्ग अब प्रोफेशनल हो चुके हैं. किसी भी आयोजन के लिए मूंह मांगी रकम वसूलते हैं. आयोजन में आने से पहले ये अपनी फीस तय करते हैं, निजी सचिव के जरिए मोलभाव करते हैं और पहले पैसा ट्रांसफर होने पर ही मंच पर आते हैं. मौलाना रजवी ने आरोप लगाया कि ‘इन तीनों वर्गों ने धर्म का चोला ओढ़कर खुद की सेवा को ही धर्म प्रचार बना रखा है.
मौलाना ने जनता से की अपील
इनका दावा कि वे धर्म का प्रचार कर रहे हैं, खोखला और समाज को भ्रमित करने वाला है. ‘उन्होंने जनता से अपील की कि वे ऐसे पेशेवर कथावाचकों, मौलवियों और शायरों को अपने कार्यक्रमों में बुलाना बंद करें और उनका बहिष्कार करें. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि ‘ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो निःस्वार्थ भाव से धर्म की सेवा कर रहे हैं, उन्हें ज़रूर बुलाया जाना चाहिए, ताकि समाज में अच्छा संदेश जाए.’ मौलाना के इस बयान से एक ओर जहां अखिलेश यादव के कथन को नया समर्थन मिला है, वहीं धार्मिक मंचों पर सक्रिय प्रोफेशनल वक्ताओं और कथावाचकों पर सीधा सवाल खड़ा हो गया है.
