July 23, 2025 10:01 am

दिल्ली हाईकोर्ट ने सुरक्षा मंज़ूरी रद्द करने संबंधी तुर्की की कंपनी सेलेबी की याचिका ख़ारिज की

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (7 जुलाई) को तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग फर्म सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज द्वारा केंद्र सरकार द्वारा उसकी सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले के खिलाफ दायर चुनौती को खारिज कर दिया और कहा कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और भू-राजनीतिक कारणों से उठाया गया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) का समर्थन करते हुए अदालत ने कहा कि संभावित जासूसी, सेलेबी की लॉजिस्टिक्स क्षमताओं के दुरुपयोग और नागरिक उड्डयन बुनियादी ढांचे के लिए खतरों को रोकने के लिए यह कदम आवश्यक था.

जस्टिस सचिन दत्ता ने 94 पृष्ठों के फैसले में बीसीएएस के 15 मई के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि एजेंसी ने अपनी शक्तियों के भीतर काम किया है और उन स्थितियों में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता नहीं है जहां राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर हो.

बीसीएएस का यह फैसला भारत और तुर्की के बीच बढ़ते कूटनीतिक और सैन्य तनाव के बीच आया है, जिसमें अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारतीय सेना द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ तुर्की के संबंधों और इस्लामाबाद को दिए गए उसके समर्थन पर चिंता जताई गई थी.

15 मई को सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी गई, जिससे भारत में इसकी ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं प्रभावी रूप से बंद हो गईं, जिससे इसके बड़े कार्यबल और अनुबंध अनिश्चितता में आ गए.

अदालत ने फैसला सुनाया कि सेलेबी, जो प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर परिचालन करती है और 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती है, को दिसंबर 2022 में केवल सशर्त सुरक्षा मंजूरी दी गई थी, जो स्पष्ट रूप से बीसीएएस के महानिदेशक (डीजी) को स्थिति की मांग होने पर बिना कारण बताए इसे रद्द करने की अनुमति देती है.

अदालत ने कहा, ‘संबंधित इनपुट/सूचनाओं के अवलोकन से यह पता चलता है कि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण विचार शामिल हैं, जिसके कारण प्रतिवादियों को यह कदम उठाना पड़ा.’

अदालत ने कहा कि हालांकि अदालत के लिए प्रासंगिक जानकारी या इनपुट का शाब्दिक संदर्भ देना उचित नहीं होगा, लेकिन जासूसी और लॉजिस्टिक्स क्षमताओं के दोहरे उपयोग की संभावना को खत्म करना आवश्यक है, जो देश की सुरक्षा के लिए बेहद हानिकारक होगा, खासकर बाहरी संघर्ष की स्थिति में.

जस्टिस दत्ता ने भू-राजनीतिक कारकों का भी उल्लेख किया जो संभावित रूप से भारत की आंतरिक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए खतरा हैं. अदालत ने पाया कि सेलेबी के परिचालन ने अत्यधिक संवेदनशील नागरिक उड्डयन क्षेत्रों तक अप्रतिबंधित पहुंच प्रदान की, जिसमें एयरसाइड संचालन, विमान, यात्री प्रणाली और कार्गो शामिल हैं – बुनियादी ढांचा, जिसके साथ समझौता होने पर गंभीर राष्ट्रीय परिणाम हो सकते हैं.

अदालत ने कहा, ‘राज्य/प्रतिवादियों को देश के नागरिक उड्डयन और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता होने की संभावना को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए त्वरित और निश्चित कार्रवाई करने का अधिकार है.’

अदालत ने कहा, ‘हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं एयरसाइड संचालन, विमान, कार्गो, यात्री सूचना प्रणाली और सुरक्षा क्षेत्रों तक गहरी पहुंच प्रदान करती हैं. महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और बुनियादी ढांचे तक इस तरह की बेलगाम पहुंच स्वाभाविक रूप से ऑपरेटरों और उनके विदेशी जुड़ावों के लिए सख्त सुरक्षा जांच की आवश्यकता को बढ़ाती है.’

सेलेबी ने 15 मई के फैसले को रद्द करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कहा गया कि उसकी सुरक्षा मंजूरी रद्द करना नागरिक उड्डयन सुरक्षा नियमों के नियम 12 के अनुरूप नहीं था, जिसमें महानिदेशक को किसी संस्था की सुरक्षा मंजूरी रद्द करने से पहले उसका पक्ष सुनने का अधिकार दिया गया है.

सेलेबी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने किया और बीसीएएस का प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तथा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने किया.

अपने फैसले में जस्टिस दत्ता ने सेलेबी की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि महानिदेशक को उनके मुवक्किल को सुनवाई का अवसर दिए बिना कोई निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है, उन्होंने कहा कि कानून की ऐसी कोई भी व्याख्या राष्ट्रीय और नागरिक उड्डयन सुरक्षा के हित में निर्देश/आदेश जारी करने के लिए महानिदेशक को सशक्त बनाने के मूल उद्देश्य को विफल कर देगी.

अदालत ने माना कि महानिदेशक को प्रशासनिक कार्यों के लिए सामान्य और साथ ही विशिष्ट निर्देश जारी करने और नागरिक उड्डयन को नियंत्रित करने वाले कानून के पीछे के उद्देश्य को पूरा करने का अधिकार है.

अदालत ने कहा, ‘इस तरह का दृष्टिकोण न केवल महानिदेशक में व्यापक और तत्काल शक्तियों को निहित करने के पीछे के उद्देश्य की अवहेलना करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन सम्मेलन के तहत भारत के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों की पूर्ति में भी बाधा डालता है.’

न्यायाधीश ने सेलेबी की उस आपत्ति को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा अदालत को सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के लिए ‘इनपुट’ एक सीलबंद लिफाफे में उपलब्ध कराने और उसका खुलासा न करने की कार्रवाई की थी. उन्होंने कहा कि इस तरह का खुलासा सुरक्षा और संरक्षा के दृष्टिकोण तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए अनुकूल नहीं होगा.

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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