नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को सौंपी गई एक नई रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि बड़ी संख्या में वैश्विक कंपनियों ने गाजा और वेस्ट बैंक में इजरायल के कब्जे और सैन्य अभियानों को सुविधाजनक बनाने या उनसे लाभ उठाने में प्रमुख भूमिका निभाई है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है, और निजी क्षेत्र की जवाबदेही की मांग की गई है.
कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक (Special Rapporteur) फ्रांसेस्का अल्बानीस द्वारा लिखित रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि विभिन्न क्षेत्रों में कॉरपोरेट संस्थाओं ने ‘कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में आत्मनिर्णय के इनकार और अन्य संरचनात्मक उल्लंघनों को सक्षम किया है, जिसमें कब्जा, विलय और रंगभेद और नरसंहार के अपराध शामिल हैं, साथ ही भेदभाव, अनियंत्रित विनाश, जबरन विस्थापन और लूटपाट से लेकर न्यायेतर हत्या और भुखमरी तक के सहायक अपराधों और मानवाधिकार उल्लंघनों की एक लंबी सूची है.’
जहां पिछली रिपोर्टें अवैध बस्तियों या इजरायल की राजनीतिक कार्रवाइयों पर केंद्रित थीं, यह रिपोर्ट 200 से अधिक प्रस्तुतियों और लगभग 1,000 कॉरपोरेट संस्थाओं के एक नए डेटाबेस पर आधारित है, जो वैश्विक व्यापार नेटवर्क को उन संरचनाओं से जोड़ने वाली पहली रिपोर्ट है, जिन्हें अल्बानीज़ ने रंगभेद और नरसंहार सहित अंतरराष्ट्रीय अपराध बताया है.
‘कब्जे की अर्थव्यवस्था से नरसंहार की अर्थव्यवस्था तक‘ शीर्षक वाली 39-पृष्ठ की रिपोर्ट में 48 कॉरपोरेट संस्थाओं की पहचान की गई है, जो फिलिस्तीनी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधि में शामिल हैं, ‘जबकि 7 अक्टूबर 2023 के बाद अत्याचार बढ़ने के बावजूद जानबूझकर दस्तावेजीकरण, प्रणालीगत दुर्व्यवहारों की अनदेखी कर रहे हैं.’
‘कॉरपोरेट संस्थाओं ने नरसंहार की इजरायली अर्थव्यवस्था से लाभ उठाया’
विशेष प्रतिवेदक ने सारांश में लिखा कि अंतरराष्ट्रीय सरकारें कार्रवाई करने में विफल रही हैं, जबकि बहुत सारी कॉरपोरेट संस्थाओं ने अवैध कब्जे, रंगभेद और अब नरसंहार की इजरायली अर्थव्यवस्था से लाभ उठाया है.
उन्होंने लिखा, ‘यह मिलीभगत तो बस शुरुआत है. कॉरपोरेट क्षेत्र, जिसमें इसके अधिकारी भी शामिल हैं, को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि यह नरसंहार को समाप्त करने और नस्लीय पूंजीवाद की वैश्विक प्रणाली को खत्म करने की दिशा में एक आवश्यक कदम है.’
यह तर्क देते हुए कि कॉरपोरेट भागीदारी ‘इज़रायली कब्जे की परियोजना’ के लिए महत्वपूर्ण है, वह वाणिज्यिक हितों को सीधे तौर पर फिलिस्तीनियों के विस्थापन, विशेष रूप से 1967 के बाद, और बेदखली से जोड़ती है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कॉरपोरेट क्षेत्र ने इजरायल को घरों, स्कूलों, अस्पतालों, प्रार्थना और मनोरंजन के स्थानों, आजीविका और जैतून के बागों और बागों जैसी उत्पादक संपत्तियों को नष्ट करने के लिए आवश्यक हथियार और मशीनरी प्रदान करके इस प्रयास में भौतिक रूप से योगदान दिया है.’
इसमें कंपनियों पर सैन्यीकरण और अवैध बस्तियों को प्रोत्साहित करने में मदद करने का भी आरोप लगाया गया है, जिससे फिलिस्तीनी नागरिकों के खात्मे के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनती हैं.
नामित फर्मों में इजरायली हथियार निर्माता एल्बिट सिस्टम्स और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के साथ-साथ अमेरिका स्थित लॉकहीड मार्टिन भी शामिल है, जो गाजा में इस्तेमाल किए जाने वाले F-35 लड़ाकू जेट बनाती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर 2023 से इजरायल ने गाजा पर 85,000 टन से अधिक बम गिराए हैं, जिनमें से अधिकांश बिना निर्देशित थे. अल्बानीस ने इस अभियान को ‘गाजा का विनाश’ करार दिया.
वैश्विक दिग्गज
रिपोर्ट में हथियारों के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली रोबोटिक मशीनरी की आपूर्ति के लिए जापान के FANUC कॉर्पोरेशन और गाजा में अपने अभियान के दौरान इजरायल को ‘अमेरिका द्वारा आपूर्ति किए गए सैन्य उपकरणों के निरंतर प्रवाह को बनाए रखने’ के लिए डेनमार्क के एपी मोलर-माएर्स्क की ओर भी इशारा किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एलबिट सिस्टम्स और इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज जैसी इज़रायली कंपनियों के लिए यह नरसंहार एक फायदेमंद कारोबार रहा है.’
इसमें कहा है , ‘2023 से 2024 तक इज़रायली सैन्य खर्च में 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई – जो कि 46.5 बिलियन डॉलर होगी, 75 जो कि दुनिया भर में प्रति व्यक्ति उच्चतम में से एक है – ने उनके वार्षिक मुनाफे में तेज उछाल पैदा किया.’
हथियार उद्योग से परे रिपोर्ट में व्यापक निगरानी व्यवस्था को सक्षम करने में इजरायली और वैश्विक तकनीकी कंपनियों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है. माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, गूगल, अमेज़ॅन और पलांटिर जैसी कंपनियों पर क्लाउड सेवाएं, एआई टार्गेटिंग प्लेटफ़ॉर्म और बायोमेट्रिक सिस्टम प्रदान करने का आरोप है जो कब्जे का समर्थन करते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘फिलिस्तीनियों का दमन धीरे-धीरे ऑटोमेटिक हो गया है’, और प्रौद्योगिकी कंपनियां उस क्षेत्र से लाभ कमा रही हैं, जिसे अल्बानीज़ ने कब्जे वाले क्षेत्रों में ‘सैन्य प्रौद्योगिकी के लिए अद्वितीय परीक्षण स्थल’ कहा है.
अरबपति पीटर थिएल द्वारा सह-स्थापित पलांटिर टेक्नोलॉजीज का नाम एआई-संचालित टार्गेटिंग प्रणालियों की आपूर्ति के लिए लिया जाता है, जो कथित तौर पर हवाई हमलों के दौरान स्वचालित निर्णय लेने में मदद करती हैं.
अल्बानीज़ का कहना है कि ‘यह मानने के लिए उचित आधार हैं’ कि पलांटिर ने पूर्वानुमानित पुलिसिंग उपकरण और सैन्य सॉफ़्टवेयर अवसंरचना, साथ ही इसका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म प्रदान किया, जो युद्ध के मैदान में मददगार साबित हुआ है.
विध्वंस और जबरन विस्थापन के प्रयासों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का योगदान
रिपोर्ट में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा विध्वंस और जबरन विस्थापन प्रयासों में मुहैया करवाई गई भारी मशीनरी के उपयोग का भी विवरण है.
इसमें कैटरपिलर, एचडी हुंडई और वोल्वो को कथित तौर पर फिलिस्तीनी संपत्ति को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल किए गए उपकरणों की आपूर्ति के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. इसमें कहा गया है, ‘अक्टूबर 2023 से यह मशीनरी गाजा में 70 प्रतिशत संरचनाओं और 81 प्रतिशत फसल भूमि को नुकसान पहुंचाने और नष्ट करने में शामिल रही है.’
अकादमिक संस्थान और वित्तीय फर्म भी इसमें शामिल हैं. रिपोर्ट में इज़रायली विश्वविद्यालयों पर हथियार तकनीक विकसित करने और नस्लीय भेदभाव और कब्जे का समर्थन करने वाले नैरेटिव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इज़रायल में विश्वविद्यालय – विशेष रूप से विधि विद्यालय, पुरातत्व और मध्य पूर्वी अध्ययन विभाग – नस्लीय भेदभाव की वैचारिक नींव को मजबूत करने में योगदान करते हैं’, तथा आरोप लगाया गया है कि वे फिलिस्तीनी इतिहास को मिटा देते हैं और औपनिवेशिक प्रथाओं को वैधता प्रदान करते हैं.
युद्ध से विकास
अल्बानीज़ ने पश्चिमी विश्वविद्यालयों को इजरायली संस्थानों और सैन्य अनुसंधान से उनके संबंधों का भी खुलासा किया है. उदाहरण के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में कई प्रयोगशालाओं को इजरायली रक्षा मंत्रालय के लिए अनुसंधान करने के लिए कहा जाता है. इजरायली रक्षा मंत्रालय एमआईटी में इस तरह के काम को फंड करने वाली एकमात्र विदेशी मिलिट्री है. इनमें ड्रोन कंट्रोल, पीछा करने संबंधी एल्गोरिदम और पानी के नीचे निगरानी से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के कानूनी घटनाक्रमों, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की सलाहकार राय (advisory opinion) ने ‘कॉरपोरेट जिम्मेदारी और संभावित देयता के आकलन को महत्वपूर्ण रूप से नया रूप दिया है.’
‘संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा समर्थित आईसीजे सलाहकार राय, कॉरपोरेट संस्थाओं पर प्रथमदृष्टया जिम्मेदारी डालती है कि वे कब्जे के किसी भी घटक के साथ किसी भी तरह के लेन-देन में शामिल न हों और/या पूरी तरह से और बिना शर्त वापस ले लें.’
जनवरी 2024 में आईसीजे ने इजरायल को फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार की घटनाओं को रोकने के लिए ‘सभी उपाय’ करने का आदेश दिया. पांच महीने बाद इसने इजरायल से अपने सैन्य अभियानों को तुरंत रोकने का भी आह्वान किया.
अपनी सिफारिशों के तहत रिपोर्ट ने सदस्य देशों से ‘जवाबदेही लागू करने तथा यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि कॉरपोरेट संस्थाओं को अंतरराष्ट्रीय कानून के गंभीर उल्लंघन में शामिल होने पर कानूनी परिणाम भुगतने पड़ें.’
इसने मांग की कि वैश्विक कॉरपोरेट्स को ‘अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेट जिम्मेदारियों के कानून के अनुसार, सभी व्यावसायिक गतिविधियों को तुरंत बंद कर देना चाहिए और फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय अपराधों में योगदान देने वाले और उन्हें पैदा करने वाले संबंधों को समाप्त कर देना चाहिए.’
इज़रायल की प्रतिक्रिया
इजरायल ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है.
बीबीसी के अनुसार, इजराइली सरकार ने इसे ‘निराधार, अपमानजनक और पद का घोर दुरुपयोग’ बताते हुए खारिज कर दिया है. इजरायल ने नरसंहार के आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वह हमास के खिलाफ आत्मरक्षा में काम कर रहा है, जो 7 अक्टूबर, 2023 के आतंकी हमले के पीछे था.
रिपोर्ट जारी होने से दो दिन पहले अमेरिका ने मांग की कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को ‘उनकी (अल्बानीज़ की) गतिविधियों की निंदा करनी चाहिए और उन्हें हटाने की मांग करनी चाहिए.’
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी स्थायी मिशन के 1 जुलाई के बयान में कहा गया, ‘संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने चेतावनी दी कि ऐसा करने में लगातार विफलता से न केवल संयुक्त राष्ट्र की बदनामी होगी, बल्कि अल्बानीज़ के कदाचार के जवाब में महत्वपूर्ण कार्रवाई की भी आवश्यकता होगी.’
संयुक्त राष्ट्र केंद्रित समाचार आउटलेट पासब्लू के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता ने दोहराया कि गुटेरेस के पास ‘न तो उन्हें नियुक्त करने का अधिकार है और न ही उन्हें नौकरी से निकालने का. इसलिए, जबकि उनके नाम में संयुक्त राष्ट्र का लोगो और संयुक्त राष्ट्र का शीर्षक है, वे महासचिव से पूरी तरह स्वतंत्र रूप से काम करते हैं. उन्हें नहीं पता कि वे क्या करने जा रही हैं, वे कहां हैं या वे क्या कहती हैं.’
ज्ञात हो कि इस साल की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन के दूसरे कार्यकाल के लिए वापस आने के बाद इजरायल और अमेरिका दोनों ने जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से खुद को अलग कर लिया था. इससे पहले अमेरिका ने ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान परिषद छोड़ दी थी.
