छह महीने में व्हाइट हाउस के अपने तीसरे दौरे में, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार को “मध्य पूर्व में शांति और सुरक्षा के प्रयासों” के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तारीफ की और यहां तक कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित भी किया, लेकिन वह पश्चिम एशिया में आज के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे – गाजा में युद्ध विराम – पर कोई भी प्रतिबद्धता जाहिर करने से कतरा गए। अब जबकि दोहा में हमास के प्रतिनिधियों और इजराइल के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता जारी है, ऐसा मालूम होता है कि इजराइल गाजा के दक्षिण में फिलिस्तीनियों को जबरन स्थानांतरित करने की तैयारी कर रहा है। रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज का कहना है कि उन्होंने इजराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) को गाजा की 2.3 मिलियन लोगों की पूरी आबादी को राफा के खंडहरों, जिसे इजराइली “नया मानवीय शहर” कहते हैं, में स्थानांतरित करने की योजना बनाने का निर्देश दिया है। इज़राइली मीडिया में आईडीएफ के मुखिया इयाल ज़मीर द्वारा इस योजना का यह कहते हुए विरोध किए जाने की खबरें हैं कि “भूखे और गुस्साए” फिलिस्तीनी “आईडीएफ पर हमला बोल सकते हैं”। गाजा में बच्चों सहित दर्जनों फिलिस्तीनियों को आईडीएफ द्वारा मारना रोज़मर्रा की घटना है और सहायता केंद्रों में भूखे नागरिकों को गोली मार दी जाती है। पिछले 20 महीनों के दौरान गाजा में अपनी सेवाएं देने वाले डॉक्टरों के पास बच्चों की भूख से मौत या सिर में स्नाइपर के घाव के साथ बच्चों के शवों को अस्पतालों में लाए जाने की डरावनी कहानियां हैं। लेकिन इनमें से किसी भी बात से नेतन्याहू और उनके पश्चिमी समर्थकों, जिसमें खुद को “अमनपसंद आदमी” कहने वाले ट्रम्प भी शामिल हैं, को कोई फर्क नहीं पड़ता है।
ट्रम्प ने इस बैठक से पहले कहा था कि वह युद्ध विराम की जरूरत को लेकर नेतन्याहू के साथ “बेहद सख्त” रहेंगे। लेकिन सिर्फ जुबानी खर्च ही काफी नहीं हैं। ट्रम्प के पास अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके इजराइल को गाजा में युद्ध विराम कबूल करने के लिए मजबूर करने की क्षमता है। उन्होंने ईरान-इज़राइल युद्ध के आखिरी दौर में अपने प्रभाव का प्रदर्शन किया था और सार्वजनिक रूप से तेल अवीव से ईरान पर बमबारी करने के लिए उड़ान भर चुके अपने लड़ाकू विमानों को वापस लौटा लेने के लिए कहा था। इज़राइल ने सिर्फ एक प्रतीकात्मक हमला करने के बाद उनके इस आदेश का पालन किया था। आज का इज़राइल पहले की तरह ही अमेरिका पर निर्भर है। ईरान के साथ युद्ध के दौरान, इजराइल को आक्रामक और रक्षात्मक समर्थन के लिए अमेरिका पर निर्भर रहना पड़ा था। इजराइल को गाजा में अपने विनाशकारी युद्ध को जारी रखने के लिए अमेरिकी हथियारों की जरूरत है। और युद्ध अपराधों एवं मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट का सामना कर रहे नेतन्याहू को बेखौफ होकर पश्चिम एशिया में अपने युद्धों को जारी रखने के लिए अमेरिकी राजनीतिक एवं कूटनीतिक समर्थन की जरूरत है। अगर अमेरिका इजराइल का समर्थन करना जारी रखता है और गाजा युद्ध को खत्म करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने से इनकार करता है, तो भविष्य में इतिहासकारों और तथ्य-खोजकर्ताओं द्वारा उसकी एक ऐसे देश के रूप में निंदा की जाएगी जो फिलिस्तीनियों के खिलाफ इज़राइल के अपराधों में सहयोगी था। इस क्रूर युद्ध को लंबा खींचने के लिए इजराइल के पास कोई बहाना नहीं है। उसने 20 महीनों में अनुमानित रूप से 70,000 लोगों की जान ले ली है। यह नरसंहार जरूर रुकना चाहिए तथा इजराइल को उसके अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
