AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले का बदला लेने के लिए ऑपरेशन सिंदूर जारी रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहलगाम हमला केंद्र सरकार की सुरक्षा चूक का एक जीता-जागता उदाहरण है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के इस्तीफे की भी मांग की.
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में बुधवार रात तेलंगाना के बोधन शहर में आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया. जहां उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पहलगाम आतंकी हमला प्रधानमंत्री मोदी सरकार की सुरक्षा चूक का उदाहरण है. ओवैसी ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले का बदला लिया जाना चाहिए और ऑपरेशन सिंदूर जारी रखा जाना चाहिए.
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा पहले पहलगाम आतंकवादी हमले की सुरक्षा विफलता की जिम्मेदारी खुद लिए जाने को लेकर ओवैसी ने उन पर भी निशाना साधा और इस्तीफे की मांग की.
ऑपरेशन सिंदूर जारी रखा जाना चाहिए
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार की सबसे बड़ी सुरक्षा व्यवस्था में चूक थी. उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले का बदला लिया जाना चाहिए और ऑपरेशन सिंदूर जारी रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम केंद्र सरकार से तब तक सवाल करेंगे जब तक वे चार आतंकवादी पकड़े नहीं जाते, जिन्होंने 26 भारतीयों को धर्म पूछकर मार डाला. उन्होंने कहा पहलगाम हमला मोदी सरकार की सुरक्षा चूक का जीता-जागता उदाहरण है.
बता दें कि कुछ दिन पहले सिन्हा ने पहलगाम हमले को लेकर खुद को जिम्मेदार ठहराया था. जिसको लेकर ओवैसी ने उन पर निशाना साधा. ओवैसी ने कहा कि सिन्हा घटना के तीन महीने बाद जिम्मेदारी ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर वह इस हमले के लिए जिम्मेदार हैं, तो उन्हें उपराज्यपाल के पद पर रहने का कोई हक नहीं. उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए.
मनोज सिन्हा ने कुछ दिन पहले अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं पहलगाम हमले की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं, क्योंकि यह हमला वास्तव में एक सुरक्षा चूक थी. उन्होंने कहा कि जिस जगह हमला हुआ वह खुला मैदान था और वहां सुरक्षा बलों के लिए कोई सुविधा या जगह नहीं है. सिन्हा ने कहा कि आतंकवादियों ने यह प्रहार पर्यटकों पर नहीं बल्कि देश की आत्मा पर किया था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान नहीं चाहता कि कश्मीर की आर्थिक और सामाजिक स्थिति बेहतर हो. इसलिए उसने यह हमला पर्यटकों पर और धर्म पूछकर करवाया.
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस बर्बर हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई। आतंकियों ने हमला पूरी योजना के तहत किया था, जिसमें वे पीड़ितों से उनका धर्म पूछकर उन्हें मौत के घाट उतारते रहे। इस जघन्य हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों का हाथ बताया जा रहा है। इस हमले का उद्देश्य भारत में साम्प्रदायिक तनाव फैलाना और जम्मू-कश्मीर की तेजी से बदलती आर्थिक और सामाजिक स्थिति को नुकसान पहुंचाना था।
हमले के बाद भारत सरकार और सेना ने सख्त रुख अपनाया और तुरंत जवाबी कार्रवाई शुरू की। “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कई आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया और उन्हें ध्वस्त कर दिया। इस ऑपरेशन में दर्जनों आतंकियों को ढेर किया गया और उनके प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट किया गया। भारतीय कार्रवाई के बाद पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बना, जिसके चलते 7 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर की घोषणा की गई। हालाँकि, सेना और खुफिया एजेंसियां अभी भी स्थिति पर पैनी नज़र बनाए हुए हैं।
