उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. दरअसल, कांवड़ यात्रा के दौरान ढाबे-रेस्त्रां पर क्यूआर कोड के जरिए पहचान जानने की सुविधा उपभोक्ता के लिए जारी रहेगी. शीर्ष अदालत ने आदेश में कहा कि कांवड़ यात्रा आखिरी पड़ाव पर है. सभी ढाबा, रेस्त्रां मालिक कानून नियम का पालन करें.
जस्टीस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन.के. सिंह की पीठ फैसला सुनाते हुएकहा कि नियमों के तहत उपभोक्ता राजा है. आवेदन का निपटारा किया जाता है. उसने आदेश में कहा कि हमें बताया गया है कि आज यात्रा का अंतिम दिन है. बहरहाल, निकट भविष्य में इसके समाप्त होने की संभावना है इसलिए इस समय हम केवल यह आदेश पारित करेंगे कि सभी संबंधित होटल मालिक वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करने के आदेश का पालन करें. हम स्पष्ट करते हैं कि हम अन्य विवादित मुद्दों पर विचार नहीं कर रहे हैं.
इससे पहले यूपी सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि कानून व्यवस्था समेत तमाम पहलुओं को ध्यान में रखकर यह आदेश जारी किया गया. पिछले साल हमारे यहां कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई थी, जब कांवड़िये इसी तरह के मुद्दों के चलते ढाबों में तोड़फोड़ कर रहे थे इसीलिए पुलिस ने यह आदेश जारी किया था. पिछले साल हमारी बात सुने बिना ही एक अंतरिम आदेश पारित कर दिया गया था. मैं सिर्फ एक केंद्रीय कानून का पालन कर रहा हूं जो पूरे देश पर लागू होता है, सिर्फ कांवड़ यात्रा पर नहीं.
याचिकाकर्ताओं की ओर से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा रूटों पर ढाबों और रेस्त्रां मालिकों की पहचान सार्वजनिक करने संबंधी सभी निर्देशों पर रोक लगाने की मांग की गई थी. तर्क दिया गया था कि ये निर्देश पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की ओर से पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ हैं, जिसमें कहा गया था कि ढाबा मालिकों को अपनी पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
