September 14, 2025 10:12 am

सीसीएफ प्रभात मिश्रा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, बिलासपुर वनवृत्त में वसूली तंत्र, राजनीतिक संरक्षण और करोड़ों के खेल का खुलासा

अब्दुल सलाम क़ादरी-एडिटर इन चीफ

रायपुर/बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ वन विभाग में एक बार फिर से भ्रष्टाचार का काला सच उजागर हो रहा है। बिलासपुर वनवृत्त के मुख्य वन संरक्षक (CCF) प्रभात मिश्रा पर करोड़ों रुपये की वसूली, बजट हेरफेर, नियम विरुद्ध आदेश और राजनीतिक संरक्षण में अवैध कार्यों को बढ़ावा देने के गंभीर आरोप लगे हैं।

  • वसूली तंत्र और सूरज मिश्रा की भूमिका

सूत्र बताते हैं कि सीसीएफ प्रभात मिश्रा का पूरा “कलेक्शन नेटवर्क” उनके रिश्तेदार सूरज मिश्रा के माध्यम से संचालित होता है।

  • रेंजर, डिप्टी रेंजर और एसडीओ तक से मंथली वसूली की जाती है।
  • कई मामलों में तो डिप्टी रेंजरों से 5-5 लाख रुपये तक की सीधी मांग की गई है।

कटघोरा वनमंडल में पदस्थ एक SDO पर आरोप है कि उसने प्रभात मिश्रा के दबाव और सांठगांठ से राजसात किए गए वाहनों को छोड़ने का आदेश दिया, जिसके एवज में मोटी रकम का खेल हुआ।

बजट हेड परिवर्तन और मनमानी

प्रभात मिश्रा पर आरोप है कि वे अधीनस्थ अधिकारियों पर दबाव डालकर बजट हेड बदलवाते हैं, जिससे एक योजना का पैसा दूसरी योजना में खर्च कराते हैं।
यह प्रक्रिया न केवल वित्तीय अनियमितता है, बल्कि सीधे तौर पर घोटाले की जड़ है।

भ्रष्टाचार का पैमाना – 100 करोड़ तक का खेल!

विभागीय सूत्र बताते हैं कि प्रभात मिश्रा अब तक अपने बिलासपुर कार्यकाल में कम से कम 50 करोड़ रुपये की अवैध वसूली कर चुके हैं।
यदि एसीबी (ACB) या ईओडब्ल्यू (EOW) निष्पक्ष जांच करे तो यह आंकड़ा 100 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है।

धमकी और राजनीतिक संरक्षण का दावा

मिश्रा खुलेआम अपने प्रभावशाली संबंधों का हवाला देकर अधिकारियों व पत्रकारों को धमकाते हैं।
उनके कथन अनुसार –

“सीधे बिलासपुर की पोस्टिंग ऐसे ही नहीं मिलती, बहुत पापड़ बेलने पड़े हैं। मैंने पूरा जीवन आरएसएस और बीजेपी को दिया है, उसी का फायदा मुझे CCF बिलासपुर के रूप में मिला है। राज्य शासन मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती, मेरा कलेक्शन सीधे दिल्ली से है।”

  • विभागीय कार्यों में गड़बड़ी?
  • अवैध रेत कारोबार को संरक्षण?
  • अधीनस्थ अधिकारियों के CR बिगाड़ने की धमकी देकर ब्लैकमेलिंग?
  • वृक्षारोपण, नरवा, पुल-पुलिया कार्यों में जानबूझकर जांच खड़ी करना?
  • नोटिस जारी कर जबरन वसूली करना।
    • राजसात वाहनों को छोड़ने जैसे मामलों में मोटी रकम लेना।
PCCF श्रीनिवास राव की बेबसी

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) श्रीनिवास राव ने भी अपने करीबी लोगों से स्वीकार किया है कि –

  • अब विभाग प्रमुख की भूमिका महज रबर स्टेम्प जैसी रह गई है।
  • रेंजर और एसडीओ स्तर तक की पोस्टिंग पर उनका प्रस्ताव मान्य नहीं होता।
  • शासन सीधे आदेश जारी करता है।

राव ने यह भी कहा कि वे अब केवल अपनी इज्जत बचाकर रिटायरमेंट का इंतजार कर रहे हैं।

सबक – रिश्‍तेदारी और पकड़ भी काम नहीं आती

ऐसे ही पैसों और राजनीतिक पकड़ का दम भरने वाले सुकमा के पूर्व DFO अशोक पटेल भी थे। वे अपने SP भाई, विधायक दिनेश पटेल, पूर्व कलेक्टर व वर्तमान मंत्री ओ.पी. चौधरी तथा सेवानिवृत्त CCF नायक को रिश्तेदार बताते हुए वनबल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव का नाम लेकर लोगों को धमकाते थे।
लेकिन जब उन पर सुकमा के आदिवासियों के तेंदूपत्ता बोनस की रकम हजम करने के कारण विभागीय निलंबन, ACB की छापेमारी और गिरफ्तारी की नौबत आई, तो कोई भी रिश्तेदार या राजनीतिक मित्र उन्हें बचाने सामने नहीं आया।
👉 इससे अधिकारियों को सबक लेना चाहिए कि भ्रष्टाचार का अंत हमेशा शर्मनाक होता है।

निचोड़

बिलासपुर वनवृत्त में प्रभात मिश्रा पर लगे ये आरोप महज अफवाह नहीं हैं, बल्कि विभागीय स्तर पर जांच योग्य गंभीर विषय हैं।
यदि शासन-प्रशासन ने समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं की तो यह घोटाला छत्तीसगढ़ के वन विभाग का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार कांड साबित हो सकता है।

कैसे निपटाए गए भ्रष्टाचार के मामले?

सरकारी जमीन का अतिक्रमण और मछली–मुर्गी पालन: शिकायतें आने के बाद भी प्रभात मिश्रा ने इन्हें दबाकर संबंधित लोगों से मोटी रकम लेकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

राजसात वाहन छोड़ना: कटघोरा SDO द्वारा राजसात किए गए वाहनों को मोटी वसूली के बाद छोड़ दिया गया, कोई विभागीय कार्रवाई नहीं हुई।

डिप्टी रेंजर हफिज से 5 लाख की मांग: इस पर वनकर्मचारियों के पत्र तक मौजूद हैं, फिर भी मिश्रा ने वनमंत्री को मुस्लिम कर्मचारी होने के कारण थोड़ा ताईट किए जाने कि बात बता कर राजनीतिक संरक्षण का उपयोग कर फाइल दबावा दी गई ।

नरवा कार्यों की खराब गुणवत्ता: जांच की मांग उठी, लेकिन रिश्वतखोरी से रिपोर्ट बदलवाई गई और “सब सही” बता दिया गया।

मृत वृक्षारोपण प्रकरण: मृत पौधों के नाम पर बजट की बंदरबांट हुई। वसूली करने के बाद मामले को रफा-दफा कर दिया गया, किसी पर कार्रवाई नहीं हुई।

👉 सभी मामलों में वसूली कर फाइलें दबा दी गईं, शिकायतकर्ताओं पर दबाव बनाया गया और अधिकारियों को डराकर पूरा भ्रष्टाचार चुपचाप निपटा दिया गया।

Khabar 30 Din
Author: Khabar 30 Din

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