December 4, 2025 12:18 am

दो दिन क्या, अब तो तीसरा भी गया… कार्रवाई अभी भी हवा में, मनमानी के आगे प्रशासन मौन

शहडोल। नगर में दवाइयों के वीआईपी रेट की चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही, लेकिन प्रशासन की खामोशी इससे भी ज़्यादा चर्चा में है। जिला अस्पताल के सामने स्थित न्यू गुप्ता मेडिकल स्टोर (ब्यौहारी वाले) द्वारा विक्स इन्हेलर को एमआरपी 64 रुपये के बजाय 69 रुपये में बेचने का मामला सामने आए पूरे दो दिन हो चुके हैं, पर हालात जस के तस हैं। कार्रवाई तो दूर, पूछताछ तक की हवा भी नहीं चली।

मामला गर्म, कार्रवाई ठंडी

स्थानीय लोगों का कहना है कि एमआरपी से अधिक वसूली का यह मामला किसी भी लिहाज से छोटा नहीं। ग्राहक ने भुगतान का सबूत भी दिखाया, लेकिन जिम्मेदार विभागों ने मानो इसे रूटीन शोर मानकर फाइलें हवा में उड़ जाने दी हों। दुकान पर रोज़ाना सैकड़ों मरीज और उनके परिजन आते हैं, और ऐसे में एमआरपी पर अतिरिक्त शुल्क वसूला जाना सीधे तौर पर उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है। बावजूद इसके प्रशासन अब तक जांच करेंगे, देखेंगे, समिति बनाएंगे जैसी औपचारिक लाइनों से आगे नहीं बढ़ पाया है।

लोगों ने उठाए सवाल, आखिर किसका संरक्षण?

नगरवासियों में अब सवाल उठने लगे हैं कि दवा दुकानें एमआरपी से ऊपर बिक्री कर रही हैं और प्रशासन एकदम मौन क्यों है? कुछ लोगों का कहना है कि यदि यही हरकत किसी किराना या पेट्रोल पंप पर होती, तो अब तक कार्रवाई की खबरें सुर्खियों में आ जातीं। लेकिन दवा दुकानों के मामले में जैसे सब कुछ समझौते के मोड में चलता है।

उपभोक्ता परेशान, दुकान बेफिक्र

दो दिन पहले तक जिस दुकान पर विक्स इन्हेलर 69 रुपये में बेचा गया, वहां अब भी रेट एवं कमीशन को लेकर शिकायतें आ रही हैं। यानी न दुकानदार को चिंता, न प्रशासन को फिक्र। लोगों का कहना है कि दवाई खरीदना अब इलाज नहीं, महंगा अनुभव हो गया है। एक स्थानीय नागरिक ने कहा कि शराब दुकानों पर तो एमआरपी फिक्स है, पर दवा दुकानों पर रेट ग्राहक के मूड और दुकानदार की क्रिएटिविटी पर।

प्रशासन की चुप्पी से बढ़ी नाराजगी

घटना को दो दिन से अधिक समय बीत गया है, पर न तो खाद्य एवं औषधि विभाग की कोई टीम पहुंची, न दुकान संचालक से पूछताछ हुई। सोशल मीडिया पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं कि शहर में एमआरपी उल्लंघन पर कार्रवाई होती भी है या सिर्फ फाइलों में दिखती है?

बड़ा सवाल, कब जागेगा प्रशासन?
अब नगरवासियों की एक ही मांग है कि
दवाई की लूट पर रोक लगे और जिम्मेदारों पर ठोस कार्रवाई हो। अगर अभी भी कोई कदम नहीं उठाया गया, तो यह मनमानी आगे और बढ़ेगी और उपभोक्ता निरंतर नुकसान झेलते रहेंगे।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया
संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन कुलेश साहब ने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।

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